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मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी


लांछन मुंशी प्रेम चंद
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जुगनू ने ज्यों ही कमरे में कदम रक्खा, मिस खुरशेद ने कुरसी से उठकर स्वागत किया- आइए माँजी ! मैं जरा सैर करने चली गई थी। आपके आश्रम में तो सब कुशल है?
जुगनू एक कुरसी का तकिया पकड़कर खड़ी-खड़ी बोली- कुशल है मिस साहब ! मैंने कहा, आपको आसीरबाद दे आऊँ। मैं आपकी चेरी हूँ। जब कोई काम पड़े मुझे याद कीजिएगा। यहाँ अकेले तो हुजूर को अच्छा न लगता होगा।
मिस खुरशेद- मुझे अपने स्कूल की लड़कियों के साथ बड़ा आनंद मिलता है, वह सब मेरी ही लड़कियाँ हैं।
जुगनू ने मातृ-भाव से सिर हिलाकर कहा- यह ठीक है मिस साहब, पर अपना, अपना ही है। दूसरा अपना हो जाय, तो अपनों के लिए कोई क्यों रोये !
सहसा एक सुंदर सजीला युवक रेशमी सूट धारण किये जूते चरमर करता हुआ अंदर आया। मिस खुरशेद ने इस तरह दौड़कर प्रेम से उसका अभिवादन किया, मानो जामे में फूली न समाती हों। जुगनू उसे देखकर कोने में दुबक गयी !
खुरशेद ने युवक से गले मिलकर कहा- प्यारे ! मैं कब से तुम्हारी राह देख रही हूँ। (जुगनू से) माँजी, आप जायें फिर कभी आना। यह हमारे परम मित्र विलियम किंग हैं। हम और यह बहुत दिनों तक साथ-साथ पढ़े हैं।
जुगनू चुपके से निकलकर बाहर आई। खानसामा खड़ा था। पूछा- यह लौंडा कौन है?
खानसामा ने सिर हिलाया- मैंने इसे आज ही देखा है। शायद अब क्वाँरपन से जी ऊबा ! अच्छा तरहदार जवान है।
जुगनू- दोनों इस तरह टूटकर गले मिले हैं कि मैं तो लाज के मारे गड़ गयी। ऐसा चूमा-चाटी तो जोरू-खसम में नहीं होती। दोनों लिपट गये। लौंडा तो मुझे देखकर कुछ झिझकता था; पर तुम्हारी मिस साहब तो जैसे मतवाली हो गई थीं।
खानसामा ने मानो अमंगल के आभास से कहा- मुझे तो कुछ बेढब मुआमला नजर आता है।
जुगनू तो यहाँ से सीधे मिसेज टंडन के घर पहुँची। इधर मिस खुरशेद और युवक में बातें होने लगीं।
मिस खुरशेद ने कहकहा मारकर कहा- तुमने अपना पार्ट खूब खेला लीला, बुढ़िया सचमुच चौंधिया गयी !
लीला- मैं तो डर रही थी, कि कहीं बुढ़िया भाँप न जाय।
मिस खुरशेद- मुझे विश्वास था, वह आज जरूर आयेगी। मैंने दूर ही से उसे बरामदे में देखा और तुम्हें सूचना दी। आज आश्रम में बड़े मजे रहेंगे। जी चाहता है, महिलाओं की कनफुसकियाँ सुनती ! देख लेना, सभी उसकी बातों पर विश्वास करेंगी।
लीला- तुम भी तो जान-बूझकर दलदल में पाँव रख रही हो।
मिस खुरशेद- मुझे अभिनय में मजा आता है। दिल्लगी रहेगी। बुढ़िया ने बड़ा जुल्म कर रखा है। जरा उसे सबक देना चाहती हूँ। कल तुम इसी वक्त इसी ठाट से फिर आ जाना। बुढ़िया कल फिर आयेगी। उसके पेट में पानी न हजम होगा। नहीं, ऐसा क्यों? जिस वक्त वह आयेगी, मैं तुम्हें खबर दूँगी। बस, तुम छैला बनी हुई पहुँच जाना।

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